Saturday, May 31, 2025
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Music Therapy: तन और मन दोनों की औषधि है संगीत

Music Therapy: संगीत केवल कानों तक सीमित नहीं रहता-यह हृदय को स्पर्श करता है, मन को शांत करता है और शरीर के भीतर सकारात्मक ऊर्जा भरता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में तो रागों को इस तरह रचा गया है कि वे शरीर के विभिन्न चक्रों को जागृत कर सकते हैं।

म्यूजिक थेरेपी क्या है ?

म्यूजिक थेरेपी (Music Therapy) एक क्लिनिकल और एविडेंस-बेस्ड थेरेपी है जिसमें संगीत का उपयोग शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है। यह एक प्रशिक्षित म्यूजिक थेरेपिस्ट द्वारा दी जाती है, जो विभिन्न संगीतमय गतिविधियों (जैसे गाना बजाना, सुनना, रचना करना) के माध्यम से व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करता है।

प्राचीन भारत में संगीत और चिकित्सा-हमारे ऋषि-मुनियों ने भी नाद योग के माध्यम से यह बताया कि ध्वनि की तरंगें शरीर के भीतर गहराई से काम करती हैं। ‘ॐ’ की ध्वनि ही एक ऐसा नाद है, जो पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा से जुड़ाव कराता है।

म्यूजिक थेरेपी में भारतीय संगीत अत्यधिक प्रभावी

भारतीय संगीत, विशेष रूप से शास्त्रीय रागों और लोक संगीत की समृद्ध परंपरा, म्यूजिक थेरेपी (संगीत चिकित्सा) में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है। यहाँ भारतीय संगीत की म्यूजिक थेरेपी में प्रभावशीलता के प्रमुख पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है:

1. वैज्ञानिक और ऐतिहासिक आधार

  • भारतीय संगीत चिकित्सा का इतिहास प्राचीन है। अल-फ़राबी (872–950) जैसे विद्वानों ने संगीत के उपचारात्मक प्रभावों का वर्णन किया है ।
  • काशी विद्यापीठ में स्थापित म्यूजिक थेरेपी लैब और रिसर्च सेंटर ने शास्त्रीय रागों के माध्यम से मानसिक और शारीरिक रोगों के इलाज को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया है ।

2. रागों का चिकित्सीय प्रभाव

भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न राग विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोगी हैं:

  • पूरिया धनाश्री: अनिद्रा का इलाज ।
  • मालकौंस: तनाव और चिंता को कम करता है ।
  • भैरवी: उच्च रक्तचाप और तंत्रिका तंत्र को संतुलित करती है ।
  • अहीरभैरव: हाइपरटेंशन में प्रभावी ।
  • शिवरंजनी: मन को शांति और सुखद अनुभूति प्रदान करती है ।

3. मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लाभ

  • मानसिक स्वास्थ्य: अवसाद, PTSD, और तनाव प्रबंधन में सहायक ।
  • शारीरिक स्वास्थ्य: अस्थमा, साइनस, सिरदर्द, और हृदय रोगों में राहत ।
  • संज्ञानात्मक सुधार: डिमेंशिया और अल्जाइमर के मरीजों की याददाश्त बढ़ाने में मददगार ।

4. भारतीय संगीत की विशेषताएँ

  • समय-आधारित प्रभाव: सुबह (भैरवी), दोपहर (तोड़ी), और शाम (जयजयवंती) के रागों का अलग-अलग प्रभाव होता है ।
  • बहुआयामी उपयोग: शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक, और बॉलीवुड संगीत का उपयोग ।

5. आधुनिक अनुसंधान और प्रयोग

  • काशी विद्यापीठ में एक्टिव और रिसेप्टिव म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से रोगियों का उपचार किया जा रहा है ।
  • यहाँ संगीत चिकित्सा को शैक्षणिक और शोध के क्षेत्र में भी बढ़ावा दिया जा रहा है ।

6. मन के रोगों पर संगीत का चमत्कार

जब मन अशांत होता है, तो नकारात्मक विचार हावी हो जाते हैं। ऐसे समय में संगीत मन को स्थिर करता है, भावनाओं को संतुलित करता है और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थितियों में राहत पहुंचाता है। यह मेडिटेशन का एक सरल लेकिन प्रभावशाली माध्यम भी बन सकता है।

म्यूजिक थेरेपी के प्रमुख लाभ:

  1. मानसिक स्वास्थ्य: तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करती है।
  2. संज्ञानात्मक सुधार: डिमेंशिया, अल्जाइमर या स्ट्रोक के मरीजों की याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाती है।
  3. शारीरिक लाभ: दर्द प्रबंधन, मांसपेशियों की मजबूती और मोटर स्किल्स में सुधार करती है।
  4. भावनात्मक संतुलन: आत्मविश्वास बढ़ाने और भावनाओं को व्यक्त करने में सहायक।
  5. सामाजिक कौशल: ऑटिज्म या सामाजिक चिंता वाले लोगों को इंटरैक्शन में मदद करती है।

कैसे काम करती है?

  • एक्टिव थेरेपी: मरीज खुद गाता है, वाद्य यंत्र बजाता है या संगीत रचता है।
  • रिसेप्टिव थेरेपी: विशेष संगीत सुनकर आराम या उत्तेजना प्राप्त करना।
  • इम्प्रोवाइजेशन: सहज संगीत के माध्यम से भावनाएं व्यक्त करना।

किनके लिए उपयोगी?

  • मानसिक रोगी (डिप्रेशन, PTSD), न्यूरोलॉजिकल विकार (पार्किंसंस, स्ट्रोक), बच्चे (ऑटिज्म, लर्निंग डिसऑर्डर), वृद्ध (डिमेंशिया) और कैंसर या दर्द से पीड़ित मरीज।
  • म्यूजिक थेरेपी का उद्देश्य व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार उसे बेहतर जीवनशैली देना है। यह विज्ञान-आधारित उपचार है और WHO भी इसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानता है।

कैसे अपनाएँ संगीत को अपनी जीवनशैली में?

  • हर सुबह किसी शांत राग या भजन से दिन की शुरुआत करें, योग या प्राणायाम के दौरान धीमी लय वाला संगीत सुनें। तनाव या थकान महसूस हो तो 10 मिनट की धुन सुनने का अभ्यास करें एवं बच्चों को भी बचपन से ही अच्छे संगीत की आदत डालें।

निष्कर्ष

संगीत केवल मनोरंजन नहीं—यह एक जीवनशैली है, एक साधना है, एक चिकित्सा है। यह वह शक्ति है जो न दवा में है, न शब्दों में; बल्कि स्वर और लय के संतुलन में छिपी है। भारतीय संगीत म्यूजिक थेरेपी में न केवल प्रभावी है, बल्कि यह एक समग्र उपचार पद्धति के रूप में वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर रहा है। इसकी वैज्ञानिकता और प्राचीन ज्ञान का समन्वय इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से जोड़ता है।

तो अगली बार जब आप उदास या बीमार महसूस करें, तो एक अच्छी सी धुन चला कर आँखें बंद करें और संगीत की उस ऊर्जा को खुद में महसूस करें-क्योंकि संगीत सिर्फ सुनने की चीज़ नहीं, जीने की चीज़ है।

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