नई दिल्ली – वैश्विक मंच पर फिर से गर्मा गया है ट्रेड वॉर का मैदान। इस बार अमेरिका और चीन के बीच टकराव ने नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए नए टैरिफ्स के जवाब में चीन ने खुली चेतावनी जारी करते हुए अमेरिका को करारा जवाब देने का ऐलान कर दिया है। ड्रैगन की यह चेतावनी सिर्फ एक कूटनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक आर्थिक युद्ध का बिगुल है।
क्या है मामला ?
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में चीन से आयात होने वाले अरबों डॉलर के उत्पादों पर भारी शुल्क लगाने का निर्णय लिया। ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकी व्यापार घाटा कम होगा और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन चीन ने इस फैसले को आर्थिक हमले के रूप में देखा है।
चीन की तीखी प्रतिक्रिया
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है, “अगर अमेरिका व्यापार के नियमों का सम्मान नहीं करता, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। हर हमले का जवाब दिया जाएगा।” इसके बाद से चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने की योजना बनाई है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा गया है।
क्यों भड़का ड्रैगन ?
- चीन का मानना है कि यह टैरिफ वॉर उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की साजिश है।
- चीन को डर है कि इसका असर उसके निर्यात और नौकरियों पर पड़ सकता है।
- साथ ही, अमेरिका का चीन पर तकनीकी चोरी और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस का आरोप भी इस विवाद को और भड़का रहा है।
दुनिया की चिंता बढ़ी
इस टकराव का असर सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था इससे हिल सकती है। निवेशक घबराए हुए हैं, स्टॉक मार्केट में अस्थिरता है और व्यापारिक संबंधों में दरारें आ रही हैं।
विश्लेषण: क्या यह सिर्फ एक ‘टैरिफ वॉर’ है, या कुछ और?
यह केवल एक व्यापारिक विवाद नहीं, बल्कि वैश्विक वर्चस्व की लड़ाई बन चुकी है। अमेरिका और चीन, दोनों आर्थिक महाशक्तियाँ, अब सीधे आमने-सामने हैं। और इस बार यह लड़ाई सिर्फ सीमा पर नहीं, बाजार में लड़ी जा रही है।
आपकी राय क्या है?
क्या चीन की यह चेतावनी अमेरिका पर दबाव बनाएगी? या ट्रंप अपने निर्णय पर अडिग रहेंगे?
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