मोटापा Obesity ? योगासन से पाँए ग्लैमरस लुक
मोटापा Obesity
मोटापा Obesity – आजकल अव्यवस्थित जीवन शैली और विकृत खानपान से विश्व में मोटापा एक समस्या बन गया है । आनुवंशिकी , खराब पोषण , अव्यवस्थित जीवनशैली , नींद के पैटर्न और मनोविज्ञान के बीच परस्पर क्रिया ही वजन बढ़ाने में योगदान देता है।
- मोटापा Obesity
- मोटापा कम करने के योगास
- 1. सूर्य नमस्कार
- 2. वीरभद्रासन
- 3. भुजंगासन
- 4. धनुरासन
- 5. त्रिकोणासन
मोटापा Obesity को कम करने के लिए हमे एक अनुशासित जीवन शैली के साथ – साथ हमारे खान -पान को भी सुधारना होता है । इसके साथ नियमित योगासन से हम परफेक्ट बॉडी शेप पाकर अच्छा जीवन जी सकते है ।
नियमित योगासन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग से लेकर पूरे शरीर में रक्त के संचार को व्यवस्थित रखने के लिए योग की आदत बनाना विशेष लाभप्रद माना जाता है। योग विशेषज्ञों के अनुसार – बचपन से ही अगर नियमित रूप से योगासनों की आदत बना ली जाए तो इससे संपूर्ण शरीर को आकर्षक एवं सुन्दर बनाया जा सकता है । योग शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से आपके लिए लाभदायक हैं।
मोटापा कम करने के योगासन
- सूर्य – नमस्कार
- वीरभद्रासन
- भुजंगासन
- धनुरासन
- त्रिकोणासन
1. सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को नमस्कार या अर्पण करना होता है। सूर्य नमस्कार से संपूर्ण शरीर को आरोग्य , शक्ति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है। सूर्य नमस्कार से शरीर की समस्त आंतरिक ग्रंथियों के Harmons (अंतः स्त्राव) की प्रक्रिया का नियमन होता है। सूर्य नमस्कार एक सर्वोत्तम Cardio Vascular व्यायाम भी है।
सूर्य नमस्कार से शरीर के सभी अंग – प्रत्यंगो में क्रियाशीलता आती है। यह योगासन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत एवं स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है। सूर्य नमस्कार मोटापा Obesity को कम करने में बहुत ही सहायक है |
सूर्य नमस्कार बारह आसनो को एक क्रम में किया जाता है , संयुक्त रूप से सूर्य नमस्कार कहलाता है। ये आसन बहुत प्रभावी होते है जिसकी वजह से सूर्य नमस्कार मोटापे के लिए यह सबसे अच्छा योग है। इसका प्रभाव पूर्ण शरीर पर पड़ता है विशेष रूप से माँस पेशियां सूडोल और बलिष्ट बनती है अनावश्यक फेट कम होती है। इसे आसनों का राजा कहा जाता है।
सूर्य नमस्कार के लिए : सूर्य-नमस्कार – ग्लो और परफेक्ट बॉडी के लिए
2. वीरभद्रासन
वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
वीरभद्रासन की विधि – दोनों पेरों को 3 से 4 फिट की दूरी पर फेला कर सीधे खड़े हो जाए , दाहिने पैर को 90 डिग्री और बाएँ पैर को 15 ° तक घुमाएँ। दाहिना एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें। दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलिया आसमान की तरफ खुले होने चाहिए । हाँथ जमीन के समांतर हो।साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़े। दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में होना चाहिए। घुटना टखने से आगे नहीं जाना चाहिए।सिर को घुमाएँ और अपनी दाहिनी ओर देखें।
आसन में स्थिर हो कर , हाथों को थोड़ा और खीचें। धीरे से पेल्विस को नीचे करें। एक योद्धा की तरह इस आसन में स्थिर रहें। नीचे जाने तक साँस लेते और छोड़ते रहें। साँस लेते हुए ऊपर उठें।साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए। बाएँ तरफ से इसे दोहराएं |
वीरभद्रासन से लाभ – वीरभद्रासन सबसे सुदृढ़ योग मुद्राओं में से एक है, यह योग के अभ्यास में सुदृढ़ता और सम्पूर्णता प्रदान करता है। हाथ, पैर और कमर को मजबूती प्रदान करता है।शरीर में संतुलन बढाता है। वीरभद्रासन से घुटने के पीछे की नस, जाँघे, पैर और टखनें मजबूत होते है, क्योकि जांघें जब आगे की ओर झुकती है तो शरीर का वजन उसके ऊपर स्थान्तरित हो जाता है। यह पेट के स्नायुओं को बल देता है जिससे अतिरिक्त वसा कम होती है । एवं मोटापा घटा कर शरीर सूडोल बनता है ।
सावधानियाँ – रीढ की हड्डी के विकारों से पीड़ित या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक से परामर्श ले कर ही ये आसन करें। उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ यह आसन न करें। गर्भवती महिलाओ के लिए दुसरे और तीसरे तिमाही में अत्यन्त लाभदायक है। इस आसन को करते समय दीवार का सहारा लें। इस आसन को करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। घुटनों में दर्द है य गठिया की बीमारी है तो घुटनों के पास सहारे का उपयोग करें ।
3. भुजंगासन
भुजंगासन – सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है। भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है। ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है।
भुजंगासन के लाभ – इस आसन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है। और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए। इससे पेट की चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है और पेट के नीचे के हिस्से की पेशिया सूडोल होती है । इससे बाजुओं में शक्ति मिलती है।
भुजंगासन की विधि – इसके लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अब दोनों हाथ के सहारे शरीर के कमर से ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन कोहनी आपकी मुड़ी होनी चाहिए। हथेली खुली और जमीन पर फैली हो। अब शरीर के बाकी हिस्से को बिना हिलाए-डुलाए चेहरे को बिल्कुल ऊपर की ओर करें। कुछ समय के लिए इस पॉस्चर को यूं ही रखें।
यह आसान शरीर मेँ छाती और पीठ के लिए लाभदायक होता है। दीर्घ श्वास लेते हुए छाती को ऊपर की ओर उठाने से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन रक्त के साथ मिलकर,शरीर के अलग अलग भागों में स्पंदित होती है। ऑक्सीजनित रक्त मोटापा कम करने में सहायक होता है। हिप्स को पुष्ट करने में भी सहायक होता है।
4. धनुरासन
धनुरासन – संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘धनुष मुद्रा’ | सेहत और मोटापा कम करने के लिए कई प्रकार से लाभदायक ब हैं। धनुरासन हठ योग में वर्णित 12 आसनों में से एक है।
धनुरासन के लाभ – यह एक आधुनिक आसान जो ना केवल मोटापा कम कम करता है बल्कि भुजाओं और पैरों को भी पुष्ट करने में भी सहायक होता है। इस आसान में पेट के स्नायुओं पर खिंचाव का अनुभव होता है। यह खिंचाव पेट के स्नायुओं को लचीला कर देता है। लगातार इस आसन को करने से पेट लचीला और वसा कम करने में सहायक है |
धनुरासन अपने आप में योग की काफी उन्नत मुद्रा है। इससे शरीर को होने वाले विशिष्ट स्वास्थ्य लाभ का जिक्र मिलता है। आप इस योग के नियमित अभ्यास के कुछ दिनों के भीतर ही इसके सकारात्मक प्रभावों का अनुभव करना शुरू कर सकते हैं।
धनुरासन की विधि – योग का अभ्यास आसान है पर इसके लिए आपको बेहतर एकाग्रता और शारीरिक संतुलन की आवश्यकता होती है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी लोग इस योग का अभ्यास करके इससे लाभ प्राप्त कर सकते हैं। धनुरासन योग का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और हाथों को पैरों के पास रखें। अब घुटनों को मोड़ें इसे पकड़कर रखें। सांस लेते हुए सीने को उठाते हुए हाथों से पैरों को खीचें। ध्यान सांसों की गति पर केंद्रित करें। 15-20 सेकेंड तक इस अवस्था में रहें और फिर पूर्ववत आ जाएं।
5. त्रिकोणासन
त्रिकोणासन के लाभ – ऐसा ही अभ्यास है जिससे मांसपेशियों की बेहतर स्ट्रेचिंग करके रक्त के संचार को ठीक रखने में लाभ मिल सकता है। इस योग के अभ्यास के दौरान शरीर को दाएं और बाएं तरफ स्ट्रेच करने की आवश्यकता होती है जिससे पीठ, हाथों और पैरों की मांसपेशियों की सक्रियता और उनमें रक्त का संचार बढ़ता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, इस योग को करके सभी आयु के लोग कई प्रकार से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
त्रिकोणासन की विधि – त्रिकोणासन का अभ्यास करने से मांसपेशियों की सक्रियता बढ़ती है और शारीरिक निष्क्रियता के कारण होने वाली कई तरह की समस्याओं में फायदा होता है। इस योग के अभ्यास के लिए दोनों पैरों के बीच फासला रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। अब लंबी श्वास लेते हुए और दाईं ओर झुकें, नजर सामने की ओर रखें। इस स्थिति में दाएं हाथ की उंगलियों से दाएं पैर को छूने की कोशिश करें। फिर पूर्ववत स्थिति में आएं और इसकी अभ्यास को बाईं तरफ से भी करें। यह इस अभ्यास को 15 से 20 बार नियमित करना चाहिए ।
आपके अमूल्य सुझाव , क्रिया – प्रतिक्रिया स्वागतेय है ।
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