ओडिशा की बेटी मनीषा पाढ़ी बनीं भारत की पहली एडीसी Woman Aide-De-Camp ,

मनीषा पाढ़ी बनीं भारत की पहली एडीसी

ऐतिहासिक नियुक्ति , महिला सशक्तिकरण का जश्न , मनीषा पाढ़ी देश की पहली महिला एडीसी बन गई हैं। स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाढ़ी को मिजोरम के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति ने एड-डी-कैंप (एडीसी) नियुक्त किया।

वायु सेना (आईएएफ) की महिला अधिकारी स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाढ़ी को भारतीय सशस्त्र बल में भारत की पहली महिला सहायक-डी-कैंप (एडीसी) के रूप में नियुक्त किया गया है। इसी के साथ मनीषा पाढ़ी देश की पहली महिला एडीसी बन गई हैं। स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाढ़ी को मिजोरम के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति ने एड-डी-कैंप (एडीसी) नियुक्त किया।

ओडिशा के बहरामपुर की रहने वाली मनीषा पाढ़ी ने 29 नवंबर को औपचारिक रूप से अपनी पोस्‍ट संभाली और सबसे पहले मिजोरम के राज्‍यपाल को रिपोर्ट किया। यह अभूतपूर्व निर्णय न केवल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि लैंगिक मानदंडों को तोड़ने और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने की महिलाओं की क्षमता का एक शक्तिशाली प्रमाण भी है।

ऐतिहासिक नियुक्ति

मिजोरम के राज्यपाल डॉ हरि बाबू कंभमपति ने 2015 बैच की भारतीय वायु सेना अधिकारी मनीषा पाढ़ी को भारत की पहली महिला सहायक-डी-कैंप (एडीसी) के रूप में नियुक्त किया है।इस मौके पर मिजोरम के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति ने कहा, उनकी नियुक्ति महज एक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह उन महिलाओं की उल्लेखनीय क्षमताओं के प्रमाण के रूप में कार्य करता है जो लैंगिक मानदंडों को चुनौती देती हैं और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं।

राज्यपाल को किया रिपोर्ट

स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाढ़ी ने औपचारिक रूप से अपने पद पर कार्यभार ग्रहण किया और राज्यपाल को रिपोर्ट किया, जहां उन्हें राजभवन, मिजोरम के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलवाया गया। इससे पहले, स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाढ़ी तीन एयर फोर्स स्‍टेशन पर तैनात रह चुकी है जिनमें बीदर, वायु सेना स्टेशन, पुणे और अंत में वायु सेना स्टेशन भटिंडा शामिल है।

महिला सशक्तिकरण का जश्न

राज्यपाल ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि का जश्न मनाने के महत्व पर जोर दिया और हर क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए निरंतर समर्थन को प्रोत्साहित किया। स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाढ़ी की नियुक्ति प्रगति के प्रतीक के रूप में है, जो दूसरों को पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को चुनौती देने और अधिक समावेशी और विविध समाज में योगदान करने के लिए प्रेरित करती है।

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