दिल्ली : धर्म और रिलीजन दोनों अलग-अलग,दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई।
रिलीजन का मतलब धर्म नहीं याचिका पर हाईकोर्ट में 16 जनवरी को सुनवाई, केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब।
रिलीजन के पर्यायवाची के रूप में धर्म शब्द का इस्तेमाल करने सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि अगर हम ‘रिलीजन’ को परिभाषित करने की कोशिश करें तो हम कह सकते हैं कि ‘रिलीजन’ एक परंपरा है, धर्म नहीं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी दस्तावेज़ों में रिलीजन के पर्यायवाची के रूप में धर्म शब्द का इस्तेमाल करने पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय का कहना है कि अधिकारियों को रिलीजन शब्द के उचित अर्थ का इस्तेमाल करने और आधिकारिक दस्तावेजों में इसका इस्तेमाल धर्म के पर्यायवाची के रूप में नहीं करने का निर्देश दिया जाए।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सरकारों को नोटिस जारी किए हैं। याचिका में लोगों को शिक्षित करने, धर्म-आधारित नफरत और हेट स्पीच को नियंत्रित करने के लिए प्राइमरी और सेकंडरी स्कूलों के सिलेबस में ‘धर्म’ और ‘रिलीजन’ पर एक चैप्टर शामिल करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि अगर हम ‘रिलीजन’ को परिभाषित करने की कोशिश करें तो हम कह सकते हैं कि ‘रिलीजन’ एक परंपरा है, धर्म नहीं।
एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट में कहा गया है की ‘रिलीजन’ एक पंथ या आध्यात्मिक वंश है, जिसे ‘संप्रदाय’ (समुदाय) कहा जाता है। इसलिए ‘रिलीजन’ का अर्थ समुदाय है। दैनिक जीवन में हम कहते हैं कि यह व्यक्ति ‘वैष्णव धर्म’ या जैन धर्म का पालन करता है, या कोई बौद्ध धर्म या इस्लाम या ईसाई धर्म का पालन करता है, यह सही नहीं है। इसके बजाय, हमें कहना चाहिए कि यह व्यक्ति ‘वैष्णव संप्रदाय’ का पालन करता है या यह व्यक्ति ‘शिव संप्रदाय’ का पालन करता है या ‘बौद्ध संप्रदाय’ का पालन करता है। यह व्यक्ति इस्लाम या ईसाई संप्रदाय का पालन करता है। मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
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